नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच शनिवार को मिलिट्री कमांडर स्तर की वार्ता हुई। मीटिंग का मकसद पिछले एक माह से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर जारी टकराव को टालने के उपाय तलाशना था। लेकिन शनिवार देर शाम तक यह स्पष्ट हो गया कि दोनों पड़ोसियों के बीच यह तनाव लंबा चलने वाला है। केंद्र की मोदी सरकार दूसरे कार्यकाल में आए इस संकट से निबटने के लिए तैयार हो रही है। रविवार को विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान भी इस बात की तरफ इशारा कर दिया गया है। विदेश मंत्रालय ने साफ-साफ शब्दों में कहा है कि बॉर्डर पर स्थिरता और शांति कायम करने के लिए बातचीत जारी है।
मैराथन मीटिंग के बाद आया बयान
शनिवार को भारत और चीन के चुशुल-मोल्डो स्थित बॉर्डर प्वाइंट पर मैराथन मीटिंग हुई थी। इस मीटिंगके बाद विदेश मंत्रालय की तरफ से जो बयान जारी किया गया उसमें कहा गया, ‘ दोनों पक्षों के बीच एक सकारात्मक और सौहार्दपूर्ण माहौल में वार्ता हुई है। दोनों पक्ष इस बात पर रजामंद हुए हैं कि सीमा के इलाकों पर शांति और स्थिरता कायम रखने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत जारी है।’ विदेश मंत्रालय का यह बयान इस बात को स्पष्ट करता है कि सरकार चीन के साथ जारी टकराव के लंबा चलने के लिए खुद को तैयार कर चुकी है। विदेश मंत्रालय के बयान में दोनों देशों के नेताओं के बीच हुए समझौते को भी जिक्र किया है।
पूरे हो रहे हैं रिश्तों को 70 साल
विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वुहान और महाबलिपुरम में हुईं दो अनौपचारिक सम्मेलनों का जिक्र किया है। मंत्रालय के मुताबिक ‘भारत और चीन के बीच सीमा पर स्थित इलाकों में शांति और स्थिरता को द्विपक्षीय संबंधों में पूर्ण विकास के लिए एक अहम तत्व करार दिया गया है।’ मंत्रालय के बयान में कहा गया, ‘दोनों पक्षों ने इस बात पर ध्यान दिया है कि इस वर्ष दोनों देशों के बीच स्थापित हुए राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष पूरे हो जाएंगे। दोनों पक्ष इा बात पर भी रजामंद हुए हैं कि जल्द आने वाला प्रस्ताव रिश्तों को आगे ले जाने में योगदान करेगा।’
दोनों के बीच हुई साफ-साफ बात
सूत्रों की मानें तो दोनों पक्षों के बीच ‘स्पष्ट’ चर्चा हुई है और रक्षा एवं विदेश मंत्रालय दोनों ही चीन की ‘अतिसंवदेनशीलता’ को भांप चुके हैं। इसका ही नतीजा था जो पहले शनिवार को मिलिट्री टॉक्स से पहले शुक्रवार को राजनयिकों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस पर बात की थी। मंत्रालय से जुड़े सूत्रों की मानें तो यह टकराव लंबा चलने वाला है और स्थिति को हल करने के लिए छोटे-छोटे कदमों की जरूरत है। कहा जा रहा है कि भारत और चीन के बीच रोजाना ब्रिगेडिर और फील्ड स्तर की वार्ता जारी रहेगी। इसके साथ ही ज्वॉइन्ट सेक्रेटरीज भी बातचीत करते रहेंगे।
पीएम मोदी को दी गई जानकारी
शनिवार को जो वार्ता हुई है उसमें भारत की तरफ से लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह शामिल हुए थे। चीन की तरफ से मेजर जनरल लियू लिन ने शिरकत की थी जो कि साउथ शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कमांडर हैं। भारत की तरफ से चीन को स्पष्ट कर दिया गया है कि अप्रैल में लद्दाख कह पैंगोंग त्सो पर जो स्थिति थी, उसे बहाल किया जाए। साथ ही चीनी जवानों को भी अपने क्षेत्र में लौटने के लिए कहा जाए। वहीं चीन ने भारत से मांग की है कि वह क्षेत्र में जारी निर्माण कार्य को तुरंत रोक दे। सूत्रों की मानें तो भारत की तरफ से चीन की इस मांग को मानने से साफ इनकार कर दिया गया है। मीटिंग के बाद सेना ने रक्षा और विदेश मंत्रालय के अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय को भी इस बारे में जानकारी दी गई।