चीन के कुल निर्यात का 17 परसेंट सिर्फ अमेरिका को जाता है। दोनों देशों के बीच ट्रेड वार (China Us trade war) के कारण तनाव पहले से है। ट्रंप चीन के कई सामान पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा चुके हैं। यही नहीं कोरोना वायरस के बाद ट्रंप और सख्त हो गए। अमेरिकी सीनेट ने हाल ही में चीन स्थित अमेरिकी कंपनियों को बाहर निकालने का बिल पास कर दिया। इससे साफ है कि चीन में मैनुफैक्चरिंग यूनिट घटेंगे। सस्ते मजदूर और पेशेवर माहौल के कारण दुनिया भर की कंपनियों ने चीन का रुख किया था। कोरोना वायरस ने हालात पलट दिए हैं। i-phone जैसी कंपनी तो पहले ही भारत में भी यूनिट लगाने की घोषणा कर चुकी है। अब कई और नामी मल्टीनेशनल कंपनियां चीन से भारत की ओर रुख कर रही हैं। चीन के कुल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 3 परसेंट है। चीनी सामान का विरोध फिर से शुरू हो गया है। आत्मनिर्भर भारत योजना से चीनी इंपोर्ट को झटका लगना तय है। अब भारत और अमेरिका को जोड़ दें तो 20 परसेंट चीनी इंपोर्ट पर खतरे की घंटी बजती दिखाई देती है। दरअसल इसी की सनक सीमा पर दिखाई दे रही है।